Tuesday, June 16, 2009

धोरे बुझाएंगे तेल की प्यास-2



वैट कराए 'लेट'


तेल निकालने की सारी तैयारियां परवान चढ़ गईं हैं तो अब राज्य सरकार ने उत्पादित तेल पर केन्द्रीय बिक्रीकर (CST) की बजाय स्थानीय बिक्री कर यानी (VAT Tax) मांगकर नया अड़ंगा लगा दिया है। इसके चलते मई के अंतिम सप्ताह से उत्पादन शुरू करने जा रही तेल कम्पनी जून के दूसरा सप्ताह बीत जाने पर भी कोई निर्णय नहीं कर पा रही है। खबरनवीस बताते हैं कि प्रदेश में वैट मांगने का मुद्दा तो भाजपा शासनकाल से ही चला आ रहा है। अबके वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कुछ नरम हैं, पर सरकारी अफसरों ने कायदे गिनाकर वैट को सही बताया है। इस पर सहमति नहीं बनने के कारण केयर्न एनर्जी इण्डिया तथा खरीददार कम्पनियों के बीच क्रूड ऑयल सेल एग्रीमेंट (कोसा) नहीं हो पा रहा। बिना कोसा के थार में तेल का उत्पादन शुरू नहीं हो पाएगा।


झगड़े की जड़


गंगू-तेली को मिली खबरों के अनुसार झगड़े की जड़ तेल का डिलीवरी प्वाइंट है। सरकार शुरू से ही चाहती है कि तेल का डिलीवरी प्वाइंट राजस्थान में रहे। साल भर पहले जब पाइपलाइन बिछाकर इस तेल को गुजरात के बन्दरगाह तक ले जाने की बात उठी तब भी सरकार ने आपत्ति की थी। इससे राज्य सरकार को सीएसटी की जगह वैट मिलता और दुगुना फायदा होता। तेल निकालने वाली कम्पनी का कहना था कि पाइप लाइन बिछने पर तेल का डिलीवरी प्वाइंट राजस्थान नहीं हो सकता। पाइप लाइन का अंतिम छोर, जहां से तेल बेचा जाएगा, वहीं होगा। पर सरकार के दबाव में कम्पनी ने अंडरटेकिंग दे दी थी कि खरीद का केन्द्र राजस्थान में रहेगा और खरीददार कम्पनी को राज्य में अपना कार्यालय खोलना पड़ेगा। भाजपा की सरकार ने तो इसके बाद भी कम्पनी को राजस्थान से तेल ले जाने को पाइप लाइन बिछाने की अनुमति नहीं दी थी। कांग्रेस ने नरमी दिखाते हुए पाइप लाइन बिछाने की अनुमति तो दे दी, लेकिन वैट के मामले में मौजूदा सरकार ने भी अब तक कोई फैसला नहीं किया है। अब दिक्कत यह है कि जब तक यह तय नहीं हो जाता, तब तक तेल निकलना भी अटका रहेगा।


इक-दूजे को कानून गिनाएं


अब कम्पनी और सरकार दोनों एक-दूसरे को कानून गिना रहे हैं। कम्पनी ने तो दिल्ली-मुम्बई के धंतरसिंह कानूनियों से राय-मशविरा करके अपनी रिपोर्ट भी सरकार को सौंपी है, लेकिन कहीं से समझौते की खिचड़ी पकने की खुशबू नहीं आ रही है।
करोड़ों का खेलवैट का अडंगा यूं ही नहीं लगाया है। इसमें करोड़ों का खेल है। गंगू-तेली को मिली खबरों के मुताबिक राजस्थान को तेल की रॉयल्टी से हर साल करोड़ों रुपए मिलेंगे। इसमें अगर सरकार सीएसटी वसूलती है, तो उसे दो फीसदी ही टैक्स मिलेगा, जबकि वैट में टैक्स की रकम चार प्रतिशत होगी।


- गंगू तेली

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