Monday, June 15, 2009

धोरे बुझाएंगे देश की 'प्यास'

थार के रेतीले धोरे जल्द ही हिन्दुस्तान की तेल की प्यास बुझाने लगेंगे। इसके लिए सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर तैयारी तेज हो गई है। तेल अन्वेषक कम्पनी द्वारा बाड़मेर में खोदे जा रहे तेल के कुओं को तकनीकी रूप से तैयार करने के लिए यहां तीन रिग काम कर रही हैं। इसमें दो ड्रिलिंग रिग्स एवं एक कम्प्लीशन रिग है। तेल-गैस क्षेत्र की नामवर सेवा प्रदाता जॉन एनर्जी कम्पनी ने करीब छह सौ होर्स पॉवर क्षमता की कम्प्लीशन रिग उपलब्ध करवाई है। यह रिग तेल के कुओं को उत्पादन से पूर्व अंतिम रूप देने का कार्य कर रही है। इसीलिए इस रिग को 'कम्प्लीशन रिग' का नाम दिया गया है। यह सभी रिग अभी बाड़मेर के मंगला तेल क्षेत्र में कार्य कर रही हैं।
तेल अन्वेषक कम्पनी केयर्न इण्डिया का दावा है कि कम्पनी तेल निकालने के लिए पूरी तरह से तैयार है। सरकार की हरी झण्डी मिलते ही तेल निकालने का काम शुरू हो जाएगा।
सरकार को 'वैट' चाहिए
आप तो जानते हैं कि सरकारी काम-काज बिना 'वैट' के नहीं होता। यानी जो भी फाइल सरकानी हो, उस पर वैट रख दो, खटके से पहुंच जाएगी ठिकाने पर। राजस्थान की सरकार को भी तेल पर वैट चाहिए। यह वैट 'उस तरह' का वैट तो नहीं है, लेकिन वैट तो वैट होता है जनाब। सरकार ने तेल पर वैट (VAT Tax) मांग लिया है। केयर्न एनर्जी इण्डिया कम्पनी इस पर सीएसटी देने को तैयार है। सीएसटी 2 प्रतिशत होता है, जबकि वैट 4 प्रतिशत होगा। इससे केयर्न का मुनाफा कम हो जाएगा। अब देखना यह है कि कम्पनी और सरकार का गतिरोध कब दूर होता पाता है। वैसे अखबार वाले साथी बताते हैं कि वैट के चक्कर में कम्पनी ने बाड़मेर में तेल निकालने का परीक्षण भी रोक लिया है। कम्पनी को 5 जून तक परीक्षण करना था।
जारी.......
- गंगू तेली

1 comment:

Love : God's blessings said...

यह तो चलता ही है, तेली जी। हमारे यहां तो आधे से ज्यादा काम सरकार ही अटका लेती है। तेल का उत्पादन अटका है तो कोई बड़ी बात नहीं। बस, आप मत अटकियेगा। लिखते रहिये, बताते रहिये....

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