Tuesday, August 4, 2009

'तेल की नौकरी' में ठगी का खेल!!!

'भोज राजा' अक्सर हमसे कहा करते हैं- गंगू ये दुनिया बड़ी धोखेबाज है। लोग ऐसे रंग बदलते हैं कि गिरकिट भी शरमा जाए। तू ऐसे लोगों से सम्भलकर रहना...। मगर अपने-राम भी सोचते थे कि अगर हम किसी के साथ अच्छा करेंगे, तो कौन कम्बख्त हमको छलेगा, लेकिन अभी-अभी अखबारों में खबरें देखी तो माथा भन्ना गया। धोखेबाजों की जमात तो अपनी 'तेल नगरिया' तक भी पहुंच गई है।
दो रोज पहले राजस्थान के एक बड़े अखबार राजस्थान पत्रिका में खबर छपी- 'तेल की नौकरी' में ठगी का खेल!!! खबरचियों ने लिखा कि :-
अगर आप किसी नामी तेल-गैस कम्पनी से नौकरी का बुलावा पाकर खुश हैं, तो संभल जाइए। यह प्रस्ताव किसी बड़ी ठगी का हिस्सा भी हो सकता है। तेल-गैस उत्पादन में प्रगति के साथ ही इस क्षेत्र में नौकरी का झांसा देकर रुपए ऐंठने वाला गिरोह भी सक्रिय हो गया है। विदेशी धरती पर बैठे इस गिरोह के सरगना इंटरनेट के जरिए पूरे देश में जड़ें फैला रहे हैं। मारवाड़ तक भी इनकी पहुंच हो चुकी है। राहत की बात यह है कि फिलहाल इनके झांसे में फंसने का कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन जोधपुर सहित संभाग के बाड़मेर एवं जालोर जिले में कई युवाओं को ऐसे फर्जी बुलावा पत्र (कॉल लैटर्स) एवं अनुबंध पत्र (कॉन्ट्रैक्ट लैटर) ईमेल से मिले हैं।
बड़ी तनख्वाह का झांसा
ई-मेल के जरिए नियुक्ति पत्र भेजने वाली ये कम्पनियां बड़ी तनख्वाह का लालच देकर युवाओं को फांस लेती हैं। एक युवक को मिले ऑफर लैटर में सेल्स मैनेजर पद के लिए 9500 पाउंड (तकरीबन साढ़े सात लाख रुपए) मासिक वेतन का प्रस्ताव दिया गया है। इसके अलावा भारत से ब्रिटेन आने-जाने का खर्च, रहने की व्यवस्था एवं अत्याधुनिक लैपटॉप सहित अन्य फायदे भी गिनाए गए हैं।
'शेल' के नाम का इस्तेमाल
ज्यादातर ऑफर लैटर लंदन (यूके) की शेल ऑयल कम्पनी के नाम से भेजे जा रहे हैं, लेकिन इनमें कम्पनी का पता, ई-मेल एवं फोन नम्बर फर्जी हैं। शेल की भारतीय इकाई शेल इण्डिया ने भी नौकरी के इन प्रस्तावों को पूरी तरह झूठा करार दिया है। उनका कहना है कि- 'हम किसी तरह की नियुक्ति या प्रशिक्षण के लिए पैसे नहीं मांगते तथा नियुक्ति प्रक्रिया भी अलग है। यदि कोई शेल के नाम से नियुक्ति पत्र भेजकर पैसा मंगवाता है, तो इन्हें व्यक्तिगत जानकारी नहीं दें और तत्काल पुलिस को सूचित करें।' कम्पनी ने अपनी अधिकृत वेबसाइट पर भी इसका खुलासा कर दिया है।
ऐसे लेते हैं झांसे में...
रोजगार मुहैया करवाने वाली वेबसाइट्स से ई-मेल पते जुटाकर ये कम्पनियां आवेदकों से बायोडाटा मंगवाती हैं। महीने भर बाद आवेदक को ऑफर लैटर व कॉन्ट्रैक्ट लैटर भेजा जाता है। इसमें आवेदक को यह भी बता दिया जाता है कि वर्क परमिट एवं वीजा का खर्चा उसे खुद उठाना होगा। अगर कोई आवेदक कॉन्ट्रैक्ट लैटर पर हस्ताक्षर कर भेज देता है, तो उससे 50 हजार रुपए से एक लाख रुपए तक की मांग की जाती है।

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