खुशखबरी... खुशखबरी... खुशखबरी...
आखिर वक्त आ ही गया। स्वागत-सत्कार और खुशियां मनाने का। राजस्थानी तेल के धरती की कोख से बाहर निकलने का दिन बिल्कुल करीब आ गया है। इतना करीब कि हाथ बढ़ाकर छू लो... है ना खुशी की बात...? बाड़मेर में तेल दोहन का उदघाटन करने के लिए खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 29 अगस्त को धोरां-धरती पर आएंगे। बाड़मेर ब्लॉक की ऑपरेटर कम्पनी केयर्न इण्डिया के साथ सुरक्षा एजेंसिंयों व सरकारी स्तर पर तो इस मौके आयोजित होने वाली समारोह की तैयारियां भी तेज हो गई हैं। खबरीलाल के मुताबिक देश के इस सबसे बड़े जमीनी भण्डार से तेल दोहन शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री के बाड़मेर आने का कार्यक्रम तय हो गया है। लिहाजा उनकी सुरक्षा से जुड़ी केन्द्रीय एवं स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों को माकूल इंतजाम करने को कहा गया है। प्रधानमंत्री कार्यालय से भी उदघाटन समारोह की रूपरेखा, कार्यक्रम स्थल एवं अन्य व्यवस्थाओं को लेकर केयर्न इण्डिया एवं स्थानीय अधिकारियों से जानकारी जुटाई जा रही है।
आपूर्ति स्थल बदले
इस बीच, केन्द्र सरकार ने खरीदार कम्पनियों की चिंता मिटाते हुए 'राजस्थानी तेल' के आपूर्ति स्थल (डिलीवरी पॉइंट) में बदलाव कर दिया है। सचिवों की एक विशेषाधिकार प्राप्त समिति ने इसकी मंजूरी देते हुए काण्डला बंदरगाह को मैंगलोर रिफाइनरी एण्ड पेट्रोकेमिकल्स (एमआरपीएल) एवं हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड सरीखे खरीदारों के लिए अंतरिम आपूर्ति स्थल तथा गुजरात के भोगत, राधनपुर एवं वीरमगांव को इण्डियन ऑयल कॉरपोरेशन गुजरात के लिए कच्चे तेल का आपूर्ति स्थल तय किया है। बताया जाता है कि आपूर्ति स्थल में यह बदलाव तेल परिवहन पाइप लाइन के पूरा होने तक ही रहेगा।
सरकारी कम्पनियों का पहला हक
सचिवों की इसी समिति ने राजस्थानी तेल पर पहला हक सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों का माना है। समिति ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों की आवश्यकता एवं क्षमता आकलन करने के बाद ही निजी कम्पनियों को तेल बेचने पर विचार किया जा सकता है। आपको तो पता ही है एस्सार और रिलायंस जैसी कम्पनियां भी राजस्थानी तेल की दीवानी है।
7 लाख टन की पैदावार
जानकारों के मुताबिक, सरकार द्वारा नामित तीनों कम्पनियां मिलकर मौजूदा वित्तीय वर्ष में 7 लाख टन कच्चे तेल की खरीद करेंगी, इतना ही तेल शुरुआत में दोहन भी होगा। इसमें एचपीसीएल 3 लाख टन एवं आईओसी व एमआरपीएल 2-2 लाख टन कच्चा खरीदेंगे। सार्वजनिक क्षेत्र की इन कम्पनियों की क्षमता का आकलन कर खरीद में इजाफा किए जाने की योजना है। खरीदार कम्पनियों तक तेल पहुंचाने के लिए शुरुआत में टैंकर्स का इस्तेमाल किया जाएगा। वहीं, इस साल के आखिर तक तेल पाइपलाइन भी तैयार हो जाएगी।
जल्द हो जाएगा कोसा
तेल खरीद के लिए जहां सार्वजनिक क्षेत्र के तीन खरीदारों के नाम सरकार ने तय कर लिए हैं, वहीं खरीदारों और विक्रेता कम्पनी के बीच क्रूड ऑयल सेल्स एग्रीमेंट (कोसा) की कवायद भी शुरू हो गई है। खबरीलाल के मुताबिक तेल के बिक्री मूल्य पर तो पहले ही सहमति बन गई है। अब दोहन शुरू करने से पहले ही कोसा पर हस्ताक्षर हो जाएंगे। इसके साथ ही कम्पनी थार से धोरों से तेल निकालने का कार्य शुरू कर देगी। शुरुआत में जहां रोजाना 30 हजार बैरल तेल निकाला जाएगा, वहीं वर्ष 2010 की दूसरी छह माही तक 1 लाख 25 हजार बैरल तेल प्रतिदिन निकलने लगेगा। चरम स्थिति में राजस्थान ब्लॉक से रोजाना 1 लाख 75 हजार बैरल तेल उत्पादित होगा। इसके लिए संचालक कम्पनी केयर्न इण्डिया ने अत्याधुनिक ईओआर तकनीक के इस्तेमाल का भी निर्णय किया है।
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