Thursday, September 3, 2009

मारवाड़ में 'मंगल-गान'

राजस्थान में 29 अगस्त का सूरज नए युग की शुरुआत का साक्षी बन गया। धरती के गर्भ में करीब डेढ़ हजार मीटर की गहराई पर छुपे खनिज तेल के साथ प्रदेश में खुशियों और खुशहाली की धार भी फूट पड़ी। बाड़मेर के नागाणा स्थित मंगला प्रोसेसिंग टर्मिनल में देश के प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहनसिंह ने मंगला तेल कूप से व्यावसायिक तेल दोहन की शुरुआत की। इस अवसर पर केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा, केन्द्रीय मंत्री सी.पी. जोशी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, केयर्न इण्डिया के चेयरमैन बिल गैमिल और सीईओ राहुल धीर भी मौजूद थे।
12.34 पर 'मंगल'...
मंगला कुए से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट पर जैसे ही तेल की पहली बूंद निकली, माहौल अनूठे रोमांच से लबरेज हो गया। लोग जहां तालियां बजाकर खुशी का इजहार कर रहे थे, तो कई आंखें खुशी के मारे छलक आईं। मंगला तेल कूप से निकली पहली बूंद प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह को भेंट की गई।
नए युग का आगाज
कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि तेल उत्पादन के बाद राजस्थान की गरीबी दूर होगी और खुशहाली तेजी से आएगी। उन्होंने दुनिया के अन्य हिस्सों के पूंजीपतियों को भी भारत में निवेश का आमंत्रण दिया और कहा निवेशकों को हर तरह की सहूलियत देने का विश्वास दिलाया।

हाईलाइट्स

- मंगला में 45-110 करोड़ बैरल तेल भण्डार होने का अनुमान।

- फिलहाल 30 हजार बैरल प्रतिदिन

- 2010 की शुरुआत में 50 हजार बैरल

- 2010 के अन्त तक 75 हजार

- दो साल बाद 1.75 लाख बैरल

- तकनीकी विकास के बाद 2.05 लाख बैरल

- बाड़मेर में पूरी क्षमता का उत्पादन देश के कुल उत्पादन का 20 फीसदी होगा।

- इससे तेल के आयात बिल में 7 फीसदी की बचत होगी।



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