Monday, July 6, 2009

'मंगला' पर 'शनि की दशा'

लगता है राजस्थान के मंगल तेल क्षेत्र पर शनि की दशा चल रही है। तारीख पर तारीख पड़ती जा रही है, पर तेल दोहन है कि शुरू होने का नाम ही नहीं ले रहा। तकनीकी रूप से तैयार होने के बावजूद केयर्न इण्डिया का जल्दी-उत्पादन शुरू करने का मंसूबा भी पूरा नहीं पाया। राज्य सरकार और कम्पनी के बीच वैट मामले को लेकर गतिरोध के चलते अभी भी इस मामले में तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। हालांकि पहले-पहले मई के आखिरी हफ्ते से तेल दोहन शुरू करने की कवायद चल रही थी। इस बारे में कम्पनी ने सीधे-सीधे तो ऐलान नहीं किया था, पर कई बार ऐसे संकेत दिए। इतना ही नहीं बाड़मेर के नगाणा स्थित मंगला प्रोसेसिंग टर्मिनल (एमपीटी) के तकनीकी रूप से तैयार होने में देरी को देखते हुए स्टार्ट-अप प्रोडक्शन पैकेज (सप) भी विकसित किया गया। इसमें कच्चे तेल से पानी एवं मिट्टïी के अंश अलग करने वाले छोटे सैपरेटर, बॉयलर एवं लोडिंग-बे समेत अन्य उपकरण लगाए गए, लेकिन राज्य सरकार की ओर से उत्पादित तेल पर स्थानीय कर यानी वैट की मांग के चलते इसमें रोड़ा अटक गया। अब कम्पनी और सरकार के बीच इस मुद्दे पर उच्चस्तरीय बातचीत का दौर जारी है, लेकिन मामला निर्णायक स्तर पर नहीं पहुंचा है।

'फल' रही है 'वाचा'

तेल दोहन शुरू करने के मामले में केयर्न की 'वाचा' फलीभूत हो रही है। कम्पनी ने शुरू में ही वर्ष 2009 की तीसरी तिमाही से तेल दोहन शुरू करने की घोषणा कर दी थी। मई में उत्पादन की तैयारी पूरी करने के बाद भी केयर्न ने इस पर जुबान नहीं खोली। आखिर अब शीघ्र तेल दोहन शुरू करने की इच्छा के बावजूद देरी का मुंह देखना पड़ रहा है।

कयासों का दौर


दोहन शुरू होने को लेकर अब भी कयास ही लग रहे हैं। जून का महीना भी सूखा गुजरने के बाद अब जुलाई दूसरे पखवाड़े से तेल दोहन शुरू होने की चर्चा है। वैसे, कम्पनी वाले तो अभी भी कुछ नहीं बोल रहे। अपने राम को यही चिंता है कि आखिर होगा क्या...?
जय राजा भोज की...
- गंगू-तेली

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